यूजीसी: विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में स्पोर्ट्स विषय अनिवार्य, छात्र-छात्राओं को समाज के सभी वर्गों से जोड़ने में मिलेगी मदद
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यूजीसी: विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में स्पोर्ट्स विषय अनिवार्य, छात्र-छात्राओं को समाज के सभी वर्गों से जोड़ने में मिलेगी मदद

यूजीसी: विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में स्पोर्ट्स विषय अनिवार्य, छात्र-छात्राओं को समाज के सभी वर्गों से जोड़ने में मिलेगी मदद

By Interestingfacts / May 05, 2022 / Latest News

सार

आगामी शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्पोर्ट्स अनिवार्य  होगा। इसमें छात्रों को स्पोर्ट्स से जुड़ी गतिविधियों और जानकारी से जोड़ा जाएगा।और खास बात यह भी है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अब फिजिकल और मेंटल हेल्थ काउंसलर के अलावा हेल्थ एक्सपर्ट भी रखने अनिवार्य है

विस्तार

देश भर के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अब छात्रों के शारीरिक, मानसिक फिटनेस और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना अनिवार्य है  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की उच्च स्तरीय कमेटी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सुझावों के तहत फिजिकल फिटनेस, स्पोर्ट्स, स्टूडेंट हेल्थ, वेलफेयर, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर आधारित पहली गाइड लाइन तैयार कर ली गई है

 

और इसे बुधवार को राज्यों और विश्वविद्यालयों के लिए जारी कर दिया जाएगा। आगामी शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्पोर्ट्स अनिवार्य  होगा। इसमें छात्रों को स्पोर्ट्स से जुड़ी गतिविधियों और जानकारी  से जोड़ा जाएगा।और खास बात यह भी है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अब फिजिकल और मेंटल हेल्थ काउंसलर के अलावा हेल्थ एक्सपर्ट भी रखने अनिवार्य है

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की उच्च स्तरीय कमेटी का यह भी मानना है कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान पहली बार हर व्यक्ति ने शारीरिक और मानसिक फिटनेस के अलावा भावनात्मक पहलुओं की जरूरत पर ध्यान दिया गया है। और युवा पीढ़ी अभी भी डिजिटल डिवाइस में खोयी हुई है। ऐसे में युवाओं को शारीरिक और मानसिक फिटनेस के अलावा उनके भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाइये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका उल्लेख किया गया था। उसी के माध्यम पर इसे तैयार किया गया है।

 

स्कूलों में तो स्पोर्ट्स अनिवार्य विषय रहता ही है, लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों में विकल्प के तौर पर भी रहता है। इन विषयों को अनिवार्य करने का आधार भी यही है, ताकि सभी छात्र  कैंपस लाइफ के दौरान विभिन्न गतिविधियों से जुड़ें। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि स्पोर्ट्स समेत ऐसी गतिविधियों से छात्रों का पढ़ाई समेत अन्य तनाव दूर करने में मदद मिलती है। इससे पहले यूजीसी ने 2019 में उच्च शिक्षण संस्थानों को  फिटनेस प्लान भेजा था। इसमें सभी को  स्कूलों की तर्ज पर एक घंटे का स्पोर्ट्स पीरियड रखना अनिवार्य किया गया था। इसमें स्पोर्ट्स एक्टिविटी, योग, साइकिलिंग का विकल्प दिया गया है। इसके अलावा, नृत्य, पारंपरिक विद्याओं के माध्यम से फिटनेस पर जोर दिया गया हैं। हर तीन महीने में स्पोर्ट्स कार्यक्रम आयोजित होंगे

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की उच्च स्तरीय कमेटी का यह भी मानना है कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान पहली बार हर व्यक्ति ने शारीरिक और मानसिक फिटनेस के अलावा भावनात्मक पहलुओं की जरूरत पर ध्यान दिया गया है। और युवा पीढ़ी अभी भी डिजिटल डिवाइस में खोयी हुई है। ऐसे में युवाओं को शारीरिक और मानसिक फिटनेस के अलावा उनके भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाइये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका उल्लेख किया गया था। उसी के माध्यम पर इसे तैयार किया गया है।

 

स्कूलों में तो स्पोर्ट्स अनिवार्य विषय रहता ही है, लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों में विकल्प के तौर पर भी रहता है। इन विषयों को अनिवार्य करने का आधार भी यही है, ताकि सभी छात्र  कैंपस लाइफ के दौरान विभिन्न गतिविधियों से जुड़ें। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि स्पोर्ट्स समेत ऐसी गतिविधियों से छात्रों का पढ़ाई समेत अन्य तनाव दूर करने में मदद मिलती है। इससे पहले यूजीसी ने 2019 में उच्च शिक्षण संस्थानों को  फिटनेस प्लान भेजा था। इसमें सभी को  स्कूलों की तर्ज पर एक घंटे का स्पोर्ट्स पीरियड रखना अनिवार्य किया गया था। इसमें स्पोर्ट्स एक्टिविटी, योग, साइकिलिंग का विकल्प दिया गया है। इसके अलावा, नृत्य, पारंपरिक विद्याओं के माध्यम से फिटनेस पर जोर दिया गया हैं। हर तीन महीने में स्पोर्ट्स कार्यक्रम आयोजित होंगे।

छात्रों की व्यावहारिक परेशानियां दूर करने में मदद

 इस गाइड लाइन का मकसद छात्रों में शारीरिक, स्पोर्ट्स गतिविधियों और पॉजिटिव सोच को बढ़ावा देना है। यह सभी छात्रों के लिए तनाव, दबाव और  व्यवहारिक परेशानियों को दूर करने और मानसिक स्थिति ठीक रखने के लिए जरूरी है। छात्र पढ़ाई समेत अन्य कारणों के प्रेशर में रहते हैं, इससे उन्हें मदद मिलेगी। - प्रो. एम जगदीश कुमार, अध्यक्ष  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

 

स्टूडेंट सर्विस सेंटर बनाने होंगे

सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब स्टूडेंट सर्विस सेंटर बनाने होंगे। जिससे डायरेक्टर या डीन स्तर के प्रोफेसर रैंक या फिर शारीरिक शिक्षक को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी।  ऑन लाइन मोड से या फिर टेलीफोन पर काउंसलिंग करवायी जाएगी। यह सब सिंगल विंडो सिस्टम के तहत काम करेगे। इसके अलावा, छात्रों को महिलाओं और गांवों के पिछड़े बच्चों की मदद करनी भी सिखाई जाएगी।

 

पैदल चलने के ट्रैक बनाने होंगे

उच्च शिक्षण संस्थानों के कैंपस में पैदल चलने वाले ट्रैक बनाने अनिवार्य रहेंगे। इसका मकसद कैंपस में एक विभाग से दूसरे विभाग, लाइब्रेरी, हॉस्टल आदि आने-जाने के लिए कार की बजाय पैदल चलने की आदत डाली जाए। इससे भी फिटनेस का बढ़ावा मिलेगा।

 





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